Helping The others Realize The Advantages Of Hindi poetry

तारक मणियों से सज्जित नभ बन जाए मधु का प्याला,

बनी रहे वह मदिर पिपासा तृप्त न जो होना जाने,

कोमल कूर-करों में अपने छलकाती निशिदिन चलतीं,

आह भरे वो, Hindi poetry जो हो सुरिभत मदिरा पी कर मतवाला,

होंठ लगाने को कहकर हर बार हटा लेती प्याला,

मिले न मंदिर, मिले न मस्जिद, मिल जाती है मधुशाला।।४७।

'बस अब पाया!'- कह-कह कब से दौड़ रहा इसके पीछे,

अथक बनू मैं पीनेवाला, खुले प्रणय की मधुशाला।।६३।

देखो कैसों-कैसों को है नाच नचाती मधुशाला।।४०।

डाँट डपट मधुविक्रेता की ध्वनित पखावज करती है,

हिम श्रेणी अंगूर लता-सी फैली, हिम जल है हाला,

हमें नमक की ज्वाला में भी दीख पड़ेगी मधुशाला।।७५।

क्या पीना, निर्द्वन्द न जब तक ढाला प्यालों पर प्याला,

ठुकराया ठाकुरद्वारे ने देख हथेली पर प्याला,

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